जहाँ गिरे थे माँ सती के कान : भीमाकाली मंदिर
भीमाकाली मंदिर (सरहन) |
पर्वतराज हिमालय की पावन पवित्र वादियों मे बसा हिमाचल प्रदेश सम्पूर्ण विश्व मे देवभूमि के नाम से विख्यात है। देवी-देवताओं,ऋषि मुनियों,साधकों एंव चिंतकों की इस निवास भूमि मे शिव एंव शक्ति के अनेकों ऐसे तीर्थस्थल हैं जिनकी पूजा से मनुष्य को एक आध्यात्मिक एंव आत्मिक सुख की अनुभूति प्राप्त होती है। पारंपरिक तीर्थस्थलों से हटकर ऐसा ही एक दिव्य एंव आलौकिक स्थान है भीमा काली मंदिर। 51 शक्तिपीठों मे से एक इस पवित्र स्थान पर माँ सती के कान गिरे थे। प्रकृति के अद्भुत नज़ारो के बीच बसा भीमाकाली मंदिर तीर्थयात्रियों एंव सैलानियों दोनों के ही आकर्षण का केंद्र है।
देवभूमि हिमाचल प्रदेश |
प्रदेश की राजधानी शिमला से लगभग 180किमी. की दूरी पर स्थित है सरहन। प्राचीन मान्यता के अनुसार किन्नर कैलाश प्रदेश की राजधानी शौणितपुर थी। जोकि वर्तमान मे सरहन के नाम से जानी जाती है। यहीं पर कैलाश निवासी महादेव शिव के परम भक्त बाणासुर का साम्राज्य था। दंत कथा के अनुसार बाणा सुर की पुत्री उषा एंव श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के विवाह प्रसंग को लेकर बाणासुर एंव श्री कृष्ण मे भयंकर युद्ध हुआ,जिसमे भगवान शिव ने अपने परम भक्त बाणासुर का साथ दिया,किन्तु युद्ध के अंत मे बाणा सुर की मृत्यु के उपरांत श्री कृष्ण के पुत्र एंव अनिरुद्ध के पिता प्रदुमन ने इस राज्य की बागडोर संभाली। तब से आज़ादी तक बुशयार राज्य की बागडोर प्रदुमन के वंशजों के हाथों मे रही। आरोहिक्रम से बने तीन प्रांगणों मे माँ श्री भीमाकाली का पौराणिक भव्य मंदिर प्रतिष्ठित है। मंदिर परिसर मे प्रवेश करते ही सर्वप्रथम कोट शैली मे बने पाँच मंज़िलों के दो सुंदर भवन स्थित हैं। सबसे ऊपर की मंज़िल मे पहुँच कर भक्त माँ आदिशक्ति भीमाकाली के दर्शन करते हैं। चित को आकर्षित करती माँ की सुंदर भव्य मूर्ति को नमन कर भक्त माँ भीमाकाली का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
कोट शैली मे निर्मित मंदिर की इमारत |
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