Sunday 9 September 2018

विश्व में सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित कृष्ण मन्दिर   :  युला कांडा  

कृष्ण मन्दिर (युला कांडा)

देवभूमि हिमाचल जहाँ प्रकृति पग-पग पर अपनी आलौकिक सुन्दरता बिखेरती है। यहाँ के कण-कण को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो ईश्वर ने स्वयं अपने हाथों से इसकी संरचना की है। हिमाचल प्रदेश में स्थित किन्नौर जिले को हमारे देव ग्रंथों में देवताओं की भूमि कहा गया है। विश्व में सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित भगवान श्री कृष्ण का  मन्दिर इसी पवित्र भूमि पर है।  जनमान्यता के अनुसार पाण्डवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस मन्दिर का निर्माण कराया था।  यह मन्दिर हिन्दू तथा बौद्ध धर्मावलम्बियों द्वारा समान रूप से पूजनीय है। समुन्द्र तल से लगभग 12500 फ़ीट की ऊँचाई पर छोटी सी पवित्र झील में स्थित यह मन्दिर छोटा किन्तु आकर्षक लगता है। इस मन्दिर में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति विराजमान है।

पाण्डवों द्वारा पूजित भगवान श्री कृष्ण 

झील के चारों ओर बौद्ध धर्म की पवित्र पताकायें लगाई गई हैं जोकि यहाँ के वातावरण को और भी पूजनीय व दिव्य बना देती हैं। प्रत्येक वर्ष जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर यहाँ जिलास्तरीय मेले का आयोजन होता है जिसमे हजारों की संख्या में भक्त पहुँचकर भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। अतिप्रसिद्ध ना होने के कारण अधिक लोग यहाँ नहीं पहुँच पाते जिससे यहाँ आने वाले तीर्थयात्री व ट्रेकर्स इस अनछुई प्रकृति का सम्पूर्ण आनन्द उठाते हैं।  एक अन्य रोचक प्रथा के अनुसार यहाँ आने वाले धर्मावलम्बी मन्दिर के समीप बहने वाली जलधारा में अपने सिर की टोपी से अपना भविष्य जानते हैं। प्राचीन मान्यता के अनुसार यदि आपके द्वारा डाली गई उलटी टोपी जलधारा में बिना रूकावट बहती हुई झील तक पहुँच जाती है तो इसका मतलब आने वाला वर्ष आपके लिए शुभकारी होगा।

युला कांडा में लेखक 

इस देवस्थान पर पहुँचने के लिए यात्रियों को सर्वप्रथम हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला पहुँचना पड़ता है।  जहाँ से भारत-तिब्बित मोटर मार्ग पर लगभग 200 किमी आगे टापरी पहुँचना होता है। तत्पश्चात तीर्थयात्री व पर्यटक उरनी होते हुए अन्तिम मोटरमार्ग युला गाँव पहुँचते हैं।  टापरी से सुबह 8.30 तथा सायं 4 बजे बस सुविधा उपलब्ध है,अन्यथा यात्री अपनी सुविधानुसार प्राइवेट जीप अथवा निजी वाहन द्वारा लगभग 1 घंटे में युला गाँव पहुँच सकते हैं।  छोटा सा गाँव होने के कारण यहाँ केवल होम स्टे में ही आप रात्रि विश्राम कर सकते हैं। अगली प्रातः यात्री युले कांडा पहुँचने के लिए लगभग 8 किमी की कठिन चढ़ाई आरम्भ करते हैं। सम्पूर्ण मार्ग खड़ी चढ़ाई वाला है। शुरुआती 2-3 किमी गाँव में से होते हुए गुजरते हैं,जिसके पश्चात् घना जंगल आरम्भ हो जाता है। चीड़ तथा भोजपत्रो से घिरे लगभग 3 किमी के जंगल को पार करने के उपरान्त लगभग 1 किमी आगे दो कमरों की एक सराय बनी हुई है। जहाँ यात्री रात्रि विश्राम कर सकते हैं।  इस स्थान से युला कांडा मन्दिर की दूरी लगभग 2  किमी रह जाती है। जन्माष्टमी के अवसर पर युला गाँव के निवासी यहाँ आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए रहने तथा खाने-पीने की व्यवस्था करते हैं। वर्ष के अन्य दिनों में यहाँ आने वाले यात्रियों को अपने खाने-पीने तथा रहने के लिए टेंट की व्यवस्था स्वयं करनी पड़ती है।  युला गाँव से मन्दिर तक पहुँचने के लिए यात्रियों को लगभग 8-9 घंटे का समय लगता है। किन्तु मार्ग में बहने वाले प्राकृतिक झरने तथा हरियाली से सराबोर सुन्दर  नज़ारे इस समयावधि का का एहसास ही नहीं होने देते।  तीर्थयात्रियों एंव प्रकृतिप्रेमियों को जीवन में एक बार इस अवर्णनीय स्थान का रसपान करने हेतू अवश्य आना चाहिए।  

शिमला-टापरी                 :   लगभग 200 किमी मोटरमार्ग 
टापरी-उरनी-युला गाँव     :    लगभग 13 किमी  मोटरमार्ग 
युला गाँव-युला कांडा        :    लगभग 8 किमी (खड़ी चढ़ाई)
    





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