Sunday 18 March 2018

                      भगवान शिव को समर्पित : एलिफेंटा केव्स 

महादेव का त्रिमूर्ति स्वरूप 
मुंबई के गेटवे ऑफ़ इंडिया से लगभग 10 किमी. समुन्द्र के बीच छोटा किन्तु अत्यंत सुन्दर टापू है - धरापुरी, जिसे गुफाओं का टापू भी कहा जाता है। यह अलौकिक स्थान अरब सागर में स्थित है। पुर्तगालियों  ने पहली बार जब इस द्वीप को दूर से  देखा तो उन्हें हाथी अर्थात एलिफैंट की एक  विशाल मूर्ति  दृष्टिगोचर हुई। जिस  कारण उन्होंने इसे एलिफेंटा केव्स का  नाम दे  दिया। पहाड़ी को तराशकर बनाई गई इन गुफाओं को दो समूहों में बाँटा गया है।  एक समूह में पाँच हिंदू गुफाएँ तथा दूसरे समूह में दो बुद्धिस्ट गुफाएँ सम्मिलित हैं। हिन्दू गुफाओं  में भगवान सदाशिव की सुन्दर और विशाल प्रतिमायें बनी हुई हैं। माना जाता है कि इन्हें 5वीं से 8वीं शताब्दी में बनाया गया होगा। 
एलिफेंटा केव्स का विशाल हॉल 

गुफा में एक बड़ा हॉल है जिसमे भगवान शिव की विभिन्न मुद्राओं को मूर्तियों में तराशा गया है। एलिफेंटा केव्स का मुख्य आकर्षण कभी न भुलाई जा सकने वाली भगवान शिव की त्रिमूर्ति है।  जिसमें महादेव कैलाशपति की रचयिता, पालनकर्ता एंव संघारकर्ता की छवि प्रस्तुत की गयी है। यह विशाल मूर्ति 23-24 फ़ीट लंबी तथा 17 फ़ीट ऊँची है। इसके अलावा नटराज,अर्धनारेश्वर, शिव-पार्वती एंव रावण द्वारा कैलाश पर्वत को उठाने का  प्रयास करती प्रतिमाएँ सजीव चित्रण प्रस्तुत करती हैं।
लेखक अपने परिवार के साथ 

सन्न 1987 में यूनेस्को द्वारा एलिफेंटा गुफाओं को विश्व धरोहर घोषित कर दिया गया। जिससे यह गुफाएँ पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गयी। एलिफेंटा पहुँचने के लिए पर्यटकों को मुंबई के सुप्रसिद्ध गेटवे ऑफ़ इंडिया से हर एक-आध  घंटे में स्टीमर्स मिल जाते हैं। जिसमे आने जाने का किराया 180 रूपए है। लगभग 50 मिनट में स्टीमर समुन्द्र की लहरों के साथ अठखेलियाँ करता हुआ आपको वहाँ पहुँचा देता है।
विश्व धरोहर का प्रवेश द्वार 
तट से एलिफेंटा गुफाएँ लगभग आधा किलोमीटर दूर है। पर्यटक पैदल अथवा टॉय ट्रेन का लुत्फ़ उठाते हुए भी इन गुफाओं तक  पहुँच सकते हैं।  टॉय ट्रेन का लुत्फ़ उठाने के लिए मात्र 10 रूपए की टिकट खरीदनी होती है।  टॉय ट्रेन से उतरकर लगभग 110 सीढियाँ चढ़नी पढ़ती हैं। सीढियाँ चढ़ने में असमर्थ पर्यटकों को यहाँ पालकी उपलब्ध हो जाती है।
टॉय ट्रेन का लुत्फ़ उठाता छोटा सा पर्यटक 
सीढ़ियों के दोनों ओर आस-पास के गाँव वालों ने दुकानें सजाई हुई हैं जोकि उनकी जीविका का साधन है। इन अस्थाई दुकानों में सजे सुन्दर-सुन्दर स्मृति चिन्हों को पर्यटक यादगार के रूप में यहाँ से ले जाते हैं।  समुन्द्र के बीच स्थित होने  के कारण यहाँ की आबोहवा ने इस स्थान को  बेहतरीन पर्यटक स्थल बना दिया है। जनमान्यता है कि पाण्डवों ने इन गुफाओं का निर्माण अपने अज्ञातवास के दौरान किया था। यह स्थान तीर्थयात्री  एंव पर्यटक दोनों को ही अपनी ओर आकर्षित करता है।  


अरब सागर में तैरता जहाज 
गेटवे ऑफ़ इंडिया से उपलब्ध स्टीमर्स               



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