Sunday 20 August 2017


   पाण्डवों को मिले थे यहाँ शिवजी के बूढ़े ब्राह्मण के रूप में दर्शन 

                                                              बूढ़ा केदार 


शिवलिंग पर उकेरी हुई  मूर्तियाँ 
हिन्दूजनमानस के सबसे प्रमुख अराध्य देव भगवान शिव शंकर हैं। देवाधिदेव कहलाने वाले भगवान आशुतोष परम पावन हिमालय के अनेक स्थानो पर प्राकृतिक रूप मे वास करते हैं। ऐसे ही अनेक स्थानों को मनुष्य द्वारा तीर्थस्थलों का रूप दिया गया है। प्रतिवर्ष अनगिनत श्रद्धालु भक्त भगवान शिव की आराधना करने के लिए इन पावन तीर्थों पर पहुँचते हैं। महाहिमालय के मध्य मे ऐसा ही एक परम पावन तीर्थस्थल है - बूढ़ा केदार। पुराणो मे वर्णित इस स्थान को वृद्ध केदारेश्वर बताया गया है। प्राचीन काल मे चार धाम की यात्रा पर जाने के लिए सड़क मार्ग उबलब्ध न होने के कारण तीर्थयात्री गंगौत्री से केदारनाथ बूढ़ा केदार होते हुए जाते थे। प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण यह स्थान तीर्थयात्रियों एंव पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। 
बाल गंगा एंव धर्म गंगा का संगम 
बाल गंगा एंव धर्म गंगा नामक दो दिव्य धाराओं के संगम पर बसा यह एक अत्यंत नैसर्गिक स्थान है। स्कन्द पुराण के केदार खंड के अनुसार जब पाँचों पाँडव पुत्र गौत्र हत्या के पाप से मुक्ति के लिए हिमालय के इस इस क्षेत्र मे भ्रमण कर रहे थे तब भगवान शिव शंकर ने उन्हे वृद्ध ब्राह्मण के रूप मे दर्शन दिये। दर्शन देने के उपरांत आशुतोष भगवान शिला मे अन्तर्ध्यान हो गए। भगवान शंकर के पाँडवों को वृद्ध रूप मे दर्शन देने के कारण यह स्थान बूढ़ा केदार कहलाया। गाँव के मध्य मे स्थित छोटा सा यह मंदिर अत्यंत पूज्यनीय है। 
विशाल शिवलिंग 
मंदिर के गर्भ गृह मे ग्रेनाइट पत्थर की एक काली शिला है। इस विशाल पाषाण पर भगवान शिव,नंदी जी,पाँचों पांडव पुत्र आदि विभिन्न देवी देवताओं के चित्र अंकित किए गए हैं। समीप ही एक विशाल त्रिशूल विराजित है। भक्तजन इस विशाल शिला पर जल,फूल,बिल्व पत्र इत्यादि चढ़ाकर पूजार्चना करते हैं। यहाँ श्रावण मास मे शिव भक्त कावड़ियों का मेला लगा रहता है। माघ एंव श्रावण मास मे यहाँ रुद्राभिषेक एंव कथा का आयोजन होता है। दूर-दूर से श्रद्धालु भक्त इन भक्ति कार्यक्रमों मे भाग लेने के लिए बूढ़ा केदार पहुँचते हैं। बूढ़ा केदार के इस  मंदिर मे नाथ सम्प्रदाय के पुजारियों द्वारा पूजार्चना की जाती है।
बूढ़ा केदार मन्दिर 
बूढ़ा केदार का यह क्षेत्र न केवल धार्मिक दृष्टि से अपितु पर्यटन की दृष्टि से भी सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहीं से पर्यटक मसर ताल एंव सहस्त्र ताल नामक सुरमई झीलों पर जाने हेतू पैदल यात्रा आरम्भ करते हैं। प्रकृति प्रेमी एंव पथारोहण के अभिलाषी प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण इस मार्ग का रोमांचक आनंद उठाते हैं।
हिमालय एक भू स्वर्ग 
भूस्वर्ग का एहसास कराता यह सम्पूर्ण क्षेत्र तीर्थयात्रियों एंव पर्यटकों दोनों को ही समान रूप से अपनी ओर आकर्षित करता है। बूढ़ा केदार के इस सुरमई क्षेत्र मे पहुँचने के लिए तीर्थयात्रियों को हरिद्वार से लगभग 140       किमी. दूर घनसाली नामक स्थान पर पहुँचना होता है। घनसाली से लगभग 30 किमी. की दूरी पर स्थित है पवित्र बूढ़ा केदार गाँव।         

बूढ़ा केदार गाँव की प्राकृतिक सुन्दरता 
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